भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रविवार (19 नवंबर) को फाइनल मुकाबला खेला गया। इस मैच में भारत को छह विकेट से करारी हार मिली। गुजरात के अहमदाबाद में स्थित नरेंद्र मोदी स्टेडियम में हुए इस मैच को देखने के लिए देशभर से वीआईपी पहुंचे थे। परन्तु कपिल देव ने आमंत्रण नहीं मिलने की बात कही।
दरअसल, भारत को 1983 में पहला वनडे वर्ल्ड कप जीताने वाले कपिल ने कहा कि वह अपने साथी खिलाड़ियों के साथ फाइनल में जाना चाहते थे। परन्तु BCCI की तरफ से उनको आमंत्रित ही नही किया गया था। इस वजह से वह नही गये। कपिल का बयान क्यों आया? पहले आपको ये बताते हैं। आपको पता ही होगा कि भारतीय टीम ने अपने क्रिकेट इतिहास में 2 बार आईसीसी वनडे वर्ल्डकप जीता है। पहली बार 1983 में, दूसरी बार 2011 में। कयास लगाए जा रहे थे कि 19 नवंबर को टीम इंडिया का हौसला बढ़ाने के लिए पहले कप उठा चुके कप्तानों को आमंत्रित किया जाएगा। दिग्गज खिलाड़ी का दर्द भी छलक पड़ा। उन्होंने कैमरे के सामने कहा, ‘मैं तो चाहता था कि मेरी पूरी 83 की टीम को भी बुलाते तो और भी बेहतर होता। लेकिन इतना काम चल रहा है। इतने लोग हैं। इतनी जिम्मेदारी है। कभी-कभी लोग भूल जाते हैं। सोशल मीडिया पर यह वीडियो शेयर हो रहा है। इसी बीच 1983 विश्व कप विजेता टीम के कप्तान रहे कपिल देव के ‘न्योता नहीं मिलने’ के दावे पर सियासी बयानबाजी शुरू होती नजर आ रही है। कांग्रेस ने देव को फाइनल मैच में नहीं बुलाए जाने पर सवाल उठाए हैं। साथ ही इस फैसले को ‘तुच्छ’ बताया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कुछ समय पहले हुए महिला पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का भी जिक्र किया है। माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर पर उन्होंने लिखा, ‘यह एकदम अस्वीकार्य और बहुत ही छोटी हरकत है कि क्रिकेट प्रतिष्ठान ने कपिल देव को अहमदाबाद में हुए फाइल का न्योता नहीं भेजा था।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘बेदी की तरह कपिल देव भी अपनी बात रखने के लिए जाने जाते हैं। कुछ महीनों पहले विरोध प्रदर्शन कर रहीं महिला पहलवानों के समर्थन में वह खुलकर सामने आए थे।’ राजधानी दिल्ली में विनेश फोगाट, साक्षी मलिक समेत कई पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
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