-( Er. Manjul Tiwari) ” हमारा जुनून, हमारी इच्छाएं अनियंत्रित हैं, लेकिन हमारा चरित्र ही है, जो इन्हे अनियंत्रित करता है।” कविकुलगुरू रवीन्द्रनाथ टैगोर की लिखी इन पंक्तियों से शुरूआत करते हैं। रवीन्द्रनाथ टैगोर के पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर के 14 सन्ताने थी, उन सन्तानों में एक नाम था, हेमेंन्द्रनाथ टैगोर, हेमेंन्द्रनाथ टैगोर की भी साहित्य और दर्शन अच्छी पकड़ थी, सन- 1884 ई0 को इनके घर एक बेटी ने जन्म लिया, जिसका नाम रखा गया पूर्णिमा। पूर्णिमा की शादी शाहजहांपुर के जमीदार घराना के सर ज्वाला प्रसाद के साथ हुई, पूर्णिमा और ज्वाला प्रसाद से उत्पन्न सन्तान का नाम कुंवर ज्योति प्रसाद ने नेहरू जी के समय कांग्रेस ज्वाइन की,ज्योंति प्रसाद के बाद उनके लड़के जितेन्द्र प्रसाद ने उनकी विरासत सम्भाली। राजीव गांधी के समय में जितेन्द्र प्रसाद का कद इतना बढ़ गया था की जितेन्द्र प्रसाद राजीव जी के मुख्य सलाहकार थे। जितेन्द्र प्रसाद के घर 1973 को एक लड़का पैदा हुआ जिसका नाम रखा गया जितिन प्रसाद। जितिन प्रसाद की प्रारम्भिक शिक्षा दून School से पूरा किया, जहां इनके मित्र हुआ करते थे- ज्योंतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, दुष्यंत चौटाला। जिन्हौंने राजनीति में खूब नाम कमाया। MBA की शिक्षा प्राप्त करने के बाद जितिन प्रसाद नें सन् 2001 में भारतीय युवा कांग्रेस के सचिव बने, उसके बाद सन् 2004 में अपने गृह लोकसभा सीट शाहजहाँपुर से 14 वीं लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमायी तथा इसमें उन्हें विजय भी प्राप्त हुई।
पहली बार जितिन प्रसाद को सन् 2008 में भारत सरकार के केन्द्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया गया था। उसके बाद सन् 2009 में जितिन प्रसाद 15 वीं लोकसभा चुनाव में धौरहरा से चुनाव लड़े तथा इस चुनाव में 184,509 वोटों से उन्हें विजयी भी प्राप्त हुई।
जितिन प्रसाद 2009 से 18 जनवरी 2011 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय,19 जनवरी 2011 से 28 अक्टूबर 2012 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा 28 अक्टूबर 2012 से मई 2014 तक मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय, यूपीए सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री रहें हैं।
जितिन प्रसाद शाहजहाँपुर, लखीमपुर तथा सीतापुर में काफी लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश में शांतिप्रिय व विकासवादी राजनीती के लिए जाना जाता है।