तीन चक्रों में चलेगा अभियान, पहला चक्र 20 तक चलेगा,नौ महीने की रंजना को लगा एमआर का पहला टीका
कौशाम्बी। खसरा और रूबेला (एमआर) पर अगले वर्ष तक पूर्ण नियंत्रण पाने के लिए सोमवार 9 जनवरी से जनपद में विशेष टीकाकरण अभियान शुरू किया गया हैं विशेष टीकाकरण अभियान नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत तीन चक्रों में चलेगा। इसमें पांच वर्ष तक के बच्चों को मीजल्स रूबेला (एमआर) के दो टीके लगाए जाएंगे। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुष्पेंद्र ने दी|
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ हिन्द प्रकाश मणि ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ आज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मंझनपुर से विशेष टीकाकरण कि शुरुवात कि गई हैं जिसमे नौ माह कि रंजना को एमआर का पहला टीका लगाकर कार्यक्रम शुरू किया गया |उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. यश अग्रवाल ने बताया- शासन के निर्देश पर नौ से 20 जनवरी, 2023 तक विशेष टीकाकरण अभियान का प्रथम चक्र चलेगा। द्वितीय चक्र 13 से 24 फरवरी, 2023 और तृतीय चक्र 13 से 24 मार्च, 2023 तक संपन्न होगा। बच्चों को खसरा होने का खतरा ज्यादा रहता है। खसरा से बचाव के लिए मीजल्स-रूबेला (एमआर) विशेष टीकाकरण अभियान मिशन इंद्रधनुष की तर्ज पर चलेगा। पूरा डेटा ई-कवच पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा।
अभिभावकों से अपील- बच्चों को जरूर लगवाएं टीका
कौशाम्बी उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. यश अग्रवाल ने जनपद के लोगों से अपील की है कि वह अपने बच्चों को खसरा-रूबेला का टीका जरूर लगवाएं। टीका लगने से बीमारी का खतरा लगभग न के बराबर रह जाता है। उन्होंने कहा नियमित टीकाकरण भी जरूरी है। यह बहुत सी जानलेवा बीमारियों से बच्चों को बचाता है। नियमित टीकाकरण में बच्चों को बीसीजी, पैंटा, एमआर, आईपीवी, डीपीटी, टीडी, हैपेटाइसिस , मीजल रूबेला आदि के टीके लगाए जाएंगे।
प्रवासी लोंगों के बच्चों के नियमित टीकाकरण में आती है दिक्कत
कौशाम्बी डा. यश अग्रवाल का कहना है कि विभाग की पूरी कोशिश होती है कि कोई भी बच्चा नियमित टीकाकरण से वंचित न रह जाए, लेकिन इस कार्य में प्रवासी लोगों खासतौर पर मजदूर वर्ग के साथ दिक्कत आती है। कई बार देखा गया है कि इन लोगों के बच्चों को पहला टीका तो समय पर लग जाता है लेकिन जब दूसरे टीके का समय आया तो परिवार वह जगह छोड़ कर कहीं और चला गया होता है। इन लोगों को खोज पाना मुश्किल होता है। कई बार तो यह शहर छोड़कर ही चले जाते हैं।
क्या है लक्षण
इसके लक्षण आमतौर पर दूसरे सप्ताह के भीतर आने शुरू हो जाते हैं। इससे पीड़ित बच्चे के सीधे संपर्क में आने से भी खसरे का संक्रमण हो सकता है। बच्चों में इसके शुरुआती लक्षण हैं बुखार का आना, सर्दी-जुकाम के साथ शरीर पर दाने या चकत्ते पड़ते हैं। अगर समय पर उपचार नहीं कराया गया तो दिमागी बुखार का भी खतरा हो सकता है, जो जानलेवा है।