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क्या अतीक एवं असरफ की हत्या करने वाले शूटरों का कनेक्शन है किसी गैंग से ?

तीन युवकों ने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करने के बाद फौरन सरेंडर कर दिया। इनके नाम लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य है। हालांकि अब तक हत्या के मोटिव का पता नहीं चल सका है।
*अतीक और अशरफ हत्याकांड़ की सम्भावना*
1. किसी पुराने दुश्मन के लिए बदला लेने का ये मुफीद समय था और उसने अतीक और अशरफ की हत्या करवा दी हो।
2. किसी साथी को पर्दाफाश होने का खतरा रहा हो। इसी डर के चलते उसने शूटर्स को सुपारी देकर ये हत्या करवा दी हो।
3.पुलिस पर प्रेशर बनाने के लिए किसी साथी ने ही शूटर्स के जरिए अतीक की हत्या करवा दी हो, जिससे पुलिस प्रेशर में आ जाए।
4.अतीक को लगातार मीडिया कवरेज मिल रहा था। कुछ धार्मिक उन्मादी लड़कों ने सुर्खियों में आने के लिए हत्या की हो।
अतीक एवं अशरफ हत्याकांड़ के कई कारण हो सकते हैं। परन्तु इन सबके बीच सूत्रों के हवाले से एक खबर मिल रही है कि एक इन तीन शूटरों मे एक शूटर सनी सिंह का कनेक्शन सुंदर भाटी गैंग से है। प्रयागराज के शाहगंज थाने में अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या करने वाले तीनों आरोपितों में बांदा के रहने वाले लवलेश तिवारी, हमीरपुर निवासी सनी सिंह और कासगंज के रहने वाले अरुण मौर्य के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
*कौन है सुन्दर भाटी*- पश्चिमी यूपी के गैंगस्टर की बात की जाए तो सबसे पहले सुंदर नागर उर्फ सुंदर डाकू का नाम जुबान पर आता है। सुंदर भाटी जो गैंगवार की पैदाइश था पर 6 अप्रैल 2021 को उसे एक मामले में आजीवान कारावास की सजा सुनाकर जेल भेज दिया गया।यह बात तब की है जब नोएडा और ग्रेटर नोएडा अस्तित्व में नहीं थे। ये हिस्सा तब बुलंदशहर और गाजियाबाद के अंदर आता था। 80 का दशक ख़त्म हो रहा था और यहां दो गुटों की गैंगवार ने सभी की नाक में दम कर रखा था, क्या पुलिस और क्या प्रशासन। 80 के दशक में सतबीर गुर्जर और महेंद्र फ़ौजी की दुश्मनी जगजाहिर थी। लेकिन दो सालों के अंतर में दोनों बदमाशों को पुलिस ने ढेर कर दिया।सतबीर को 1992 में तो वहीं फौजी को 1994 में मार गिराया गया था। सतबीर और महेंद्र फ़ौजी की मौत के बाद नरेश भाटी और सुंदर भाटी का उदय हुआ, तब सुंदर बस यूनियन में जुड़ा हुआ था। तब सुंदर भाटी का नाम मारपीट तक ही सीमित था लेकिन 1997 में जब गौतम बुद्ध नगर बना तो सुंदर भाटी ने बड़े कारोबारियों से वसूली और रंगदारी मांगने का काम शुरू कर दिया। लेकिन साल 2004 में नरेश भाटी को मार दिया गया, आरोप सुंदर पर था लेकिन गवाहों के न होने के कारण सुंदर भाटी बरी हो गया। नरेश भाटी की मौत के बाद सुंदर भाटी ने अपनी पत्नी को दनकौर का ब्लॉक प्रमुख बनवा दिया। इसी दौरान सुंदर भाटी ने एक स्थानीय कारोबारी हरेंद्र प्रधान से रंगदारी मांगी। पैसे न देने के बाद हरेंद्र प्रधान की हत्या हो गई और आरोप फिर से सुंदर भाटी पर लगा। मामले में 9 लोगों पर मुकदमा हुआ और केस चला तो साल 2021 में सुंदर भाटी को हरेंद्र प्रधान की हत्या मामले में आजीवान कारावास की सजा सुनाई गई थी। साल 2017 में यूपी में योगी सरकार आने के बाद सुंदर भाटी और उनके गिरोह पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया गया था। ऐसे में सुंदर भाटी और उसके साथियों की करोड़ों की संपत्ति कुर्क कर दी गई थी। सुंदर भाटी और उसके गुर्गों पर बुलंदशहर, दिल्ली, मेरठ, फरीदाबाद सहित कई जगहों पर हत्या और हत्या की साजिश के 11 केस, लूटपाट, रंगदारी, जबरन वसूली, धमकी जैसे मामलों में करीब 150 केस दर्ज थे। इनमें से सुंदर भाटी पर ही 40 से ज्यादा केस दर्ज थे।
*ईं0 मंजुल तिवारी सम्पादक राष्ट्र दर्पण न्यूज*
*सम्पर्क सूत्र- 7007829370*

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Author: rashtradarpan