– (Er. Manjul Tiwari) उत्तर प्रदेश की विधान सभा में अभी समाजवादी पार्टी के 49 विधायक हैं और आरएलडी का एक भी विधायक नहीं हैं। खुद 2019 में भाजपा की लहर में जयंत चौधरी भी बागपत से लोकसभा का चुनाव हार गए थे।लेकिन लगातार चले रहे किसान आंदोलन और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट बिरादरी पर इसके असर ने जाटों से जुड़ी राजनीति करने वाले राष्ट्रीय लोक दल में जान फूंकी है। समाजवादी पार्टी को भी पश्चिम उत्तर प्रदेश की घनी मुस्लिम आबादी वाली सीटों पर ठीक-ठाक वोट मिलने की उम्मीद है, और 2022 में दोनों पार्टियों की कोशिश 100 सीटों पर जाट और मुसलमान बिरादरी के वोटरों को जोड़ने की होगी।
खबरों की माने तो जयन्त चौधरी और अखिलेश यादव गठबंधन को भी राजी हो गये हैं। कुछ विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जयन्त चौधरी ने 40 सीटों में चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की थी, और सपा ने 32 सीटों के लिए हामी भर दी है।
खबरों की माने तो इसकी औपचारिक घोषणायें 22 नवम्बर को नेता जी के जन्मदिन के मौके पर किया जा सकता है।
पूर्वी उ0प्र0 में राजभर से गठबंधन करने के बाद अखिलेश यादव की पूरी नजर पश्चिमी उ0प्र0 में टिकी हुई है। जयन्त चौधरी से गठबंधन के बाद भाजपा की सरदर्दियां बढ़ सकती हैं।
