भारत के जाने-माने राजनीतिक परिवार नेहरू गांधी परिवार से संबंध रखने वाली मेनका गांधी भारतीय राजनीति में जानी पहचानी चेहरा हैं। मेनका गांधी एक राजनेता ही नहीं बल्कि एक लेखिका भी है उन्होंने कई विषयों पर किताबें लिखी हैं। मेनका गांधी मोदी कैबिनेट में महिला एवं बाल विभाग की मंत्री भी रहीं हैं। मेनका गांधी वर्तमान में सुल्तानपुर से सांसद हैं। मेनका गांधी का विवाह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के साथ हुआ है। मेनका गांधी और संजय गांधी की पहली मुलाकात सन 1973 में मेनका के अंकल मेजर जनरल कपूर के बेटे वीनू कपूर की शादी के दौरान एक पार्टी में हुई थी। हालांकि संजय गांधी ने मेनका को इससे पहले एक ब्रीफ स्टिंग मॉडलिंग कॉन्टेस्ट के दौरान देखा था। सितंबर 1974 में संजय गांधी और मेनका आनंद की शादी कर दी गई उसके बाद मेनका आनंद से मेनका गांधी में परिवर्तित हो गई। 1980 में मेनका गांधी ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम है वरुण गांधी। वरुण गांधी आज भारतीय राजनीति में जाने पहचाने राजनेता हैं। मेनका गांधी का जन्म 1956 में दिल्ली के एक सिख परिवार में हुआ था। मेनका गांधी का शादी से पहले उनके नाम मेल का आनंद था। मेनका गांधी के पिता भारतीय सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल तरलोचन सिंह आनंद थे। उनकी मां का नाम अम्तेश्वर आनंद था। इसके साथ ही मेनका गांधी के अंकल भी एक मेजर जनरल थे मेनका गांधी को बचपन से मॉडलिंग का शौक था जिसके चलते वह स्कूल के कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया करती थीं। संजय गांधी के एक हवाई दुर्घटना में मृत्यु के बाद इंदिरा ने अपना राजनीतिक वारिस खोया लेकिन बड़े बेटे राजीव को कुछ बड़े नेताओं के जरिए राजनीति में लाने के लिए मना लिया वहीं मेनका अपने पति संजय की राजनीतिक संज्ञा को आकार देने की मंशा बना ली खैर इंदिरा ने मेनका को कहा कि तुम मेरी सचिव के रूप में काम करो और राजनीतिक रणनीतियों में मेरा हाथ बटाओ। लेकिन राजीव गांधी की पत्नी सोनिया ने इंदिरा को चेतावनी देते हुए कहा कि मेनका को सचिव बनाया तो मैं अपने पूरे परिवार के संग इटली चली जाऊंगी। इंदिरा के करीब संजय के बराबर ही सोनिया भी थीं, सोनिया के इस अड़ंगे से इंदिरा ने अपने राजनीतिक गुरू धीरेन्द्र ब्रह्मचारी के द्वारा मेनका को कहलवा दिया कि आपको सचिव नहीं बनाया जाएगा। इंदिरा को संजय गांधी के जिंदा रहते ही उनकी पत्नी मेनका पसंद नहीं थीं, क्योंकि संजय का झुकाव अपनी ससुराल की तरफ ज्यादा रहता था। इस बात से इंदिरा को बुरा लगता था कि अपने गांधी परिवार की बजाय ससुराल का माहौल ज्यादा रास आता है। हांलाकि इंदिरा ने इसका जिक्र संजय से कभी नहीं किया। जब संजय की मौत हो गयी तब से ही इंदिरा को मेनका और भी बुरी लगने लगीं। खाने की मेज पर मेनका को अब इतनी तवज्जो नहीं मिलती थी जिससे मेनका को बुरा भी लगता था। इंदिरा और मेनका में बातों बातों में तकरार बढ़ती चली गयी। आए दिन होने वाले मनमुटावों से मेनका ने अपनी मां के यहां चले जाने का निर्णय कर ही लिया था। संजय के विचारों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से संजय के वफादार रहे अकबर अहमद के साथ मिलकर संजय विचार मंच की शुरूआत करने का फैसला मेनका गांधी ने किया वो भी बेहद ही चतुराई के साथ जब इंदिरा गांधी अपनी बड़ी बहू सोनिया को साथ लेकर लंदन में होने वाले भारत उत्सव में सम्मिलित होने गयी हुईं थी। किसी ने तार के माध्यम से संजय विचार मंच के उदघाटन समारोह में पड़े गये भाषण को इंदिरा जी के पास भेज दिया। बहू मेनका को सबक सिखाने का फैसला लंदन में ही कर लिया। 28 मार्च 1982 को लंदन से लौटने के तुरंत बाद ही इंदिरा गांधी ने अपने राजनैतिक गुरु धीरेंद्र ब्रह्मचारी और अपने करीबी राजनीतिक सलाहकार आरके धवन के सामने मेनका को जमकर खरी-खोटी सुनाई। मेनका को तुरन्त घर से निकल जाने की बात कहकर गेट में गाड़ी खड़ी करवा दी और मेनका से कहा ‘तुम अभी इसी वक्त अपनी मां के घर जा सकती हो’। इंदिरा ने मेनका पर उनके दुश्मनों को उनकी अनुपस्थिति में घर में लाने का आरोप भी लगाया। मीडिया रिपोर्ट्स की मानेंत तो संजय गांधी की मौत के बाद साल 1981 में मेनका घर और संपत्ति दोनों ही छोड़कर चली गईं थीं। गांधी परिवार से अलग होने के बाद मेनका गांधी ने न सिर्फ़ ख़ुद को संभाला बल्कि अपने बेटे वरुण की भी परवरिश की।
ईं0 मंजुल तिवारी सम्पादक राष्ट्र दर्पण न्यूज सम्पर्क सूत्र-7007829370