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नाबालिग से गैंगरेप में अंतिम सांस तक उम्रकैद के सजायाफ्ता गायत्री प्रजापति की कहानी-


(Er. Manjul Tiwari)-
उत्तर प्रदेश का एक पुताईवाला जो विधायक बना, फिर मंत्री बना कुछ लोगों की नजर में बेहद ताकतवर मंत्री। एक ऐसा नेता जो “नेता जी का दत्तकपुत्र कहलाता था।” हम बात कर रहे हैं- गायत्री प्रजापति की।
अमेठी से तीन किलोमीटर दूर है, एक गांव परसाना। इसी गांव के एक सामान्य परिवार में गायत्री प्रजापति का जन्म हुआ। पिता- सुकईराम खानदानी पेशे से जुड़े थे। गायत्री बड़े हु्ए तो उनको जमा पुताई के काम में। राजीव गांधी के कार्यकाल में अमेठी के कोरबा इलाके में H.A.L. का कारखाना लगा। पुताई का पहला बड़ा ठेका गायत्री को यहीं मिला।अब गायत्री को राजनीति का भी चस्का लगना शुरू हुआ। शुरुआत में गायत्री प्रसाद प्रजापति साइकिल से घूमा करते थे। गांव-गांव जाकर जनसंपर्क किया करते थे। पहला चुनाव 1993 में लड़ा। ये रामलहर के बाद का दौर था जिसमें गायत्री की जमानत जब्त हो गई। चुनाव हारे तो क्या हुआ राजनीति सीख गए थे। समझ गए कि सिर्फ क्षेत्र में रहकर चुनाव नहीं जीता जा सकता। इसके लिए पार्टी का टिकट चाहिए और टिकट के लिए लखनऊ के सर्कल में होना जरूरी है। पहुंच गए गायत्री लखनऊ। पिछड़ो की राजनीति करते थे तो इसी दौरान मुलायम सिंह से भेंट हुई। गायत्री समझ गए थे कि मुलायम सिंह खुश रहे तो सपा में उनकी बनी रहेगी। लिहाजा कुछ भी हो मुलायम का जन्मदिन मनाना नहीं भूलते। मुलायम की नजर में भी प्रजापति भा गए। इसका असर भी दिखा जब 1996 में मुलायम सिंह यादव ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को अमेठी से टिकट दिया। गायत्री फिर चुनाव हार गए लेकिन ये हार पिछली जैसी नहीं थी। तीसरे नंबर पर थे गायत्री। चुनाव भले हारे लेकिन मुलायम की कृपा बनी रही। इस बीच गायत्री को लगा की पैसा भी कमाना बहुत जरूरी है, एक A.D.M. अधिकारी से बहुत अच्छी पकड़ होने के कारण शहीद पथ जहां से गुजरना था उसी पथ में बहुत सारी जमीन खरीदकर प्रापटी डीलिंग का काम शुरू किया। चौथी बार में गायत्री प्रजापति चुनाव जीते और 2012 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। 2013 में गायत्री प्रसाद को सिंचाई मंत्री बनाया गया। कभी मुलायम का जन्मदिन धूमधाम से मनाने वाले गायत्री प्रजापति अब परिवार के सबसे करीबी थे। उन्हें प्रदेश के कमाऊ खनन विभाग का स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया गया। इसी में राज्यमंत्री बने और फिर कैबिनेट मंत्री। ये सब हुआ महज एक साल में। गायत्री प्रसाद मुलायम के साथ ही शिवपाल और अखिलेश के भी करीबी थे। खनन मंत्री रहते हुए गायत्री प्रसाद पर आरोप लगा कि उन्होंने हजार करोड़ की संपत्ति इकठ्ठा कर ली है। इसी बीच हाईकोर्ट ने खनन विभाग में अनियमितता को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। अब बदनामी अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार की होने लगी। लिहाजा अखिलेश ने 2016 में गायत्री को बर्खास्त कर दिया। आखिर में अखिलेश को नेताजी के दुलारे को फिर से मंत्रिमंडल में जगह देनी पड़ी। इस बार गायत्री को परिवहन विभाग मिला। गायत्री के खिलाफ अवैध संपत्ति का आरोप लगता रहा। आरोप है कि गायत्री ने हजार करोड़ की संपत्ति बनाई है जिसकी जांच ईडी कर रही।
गायत्री प्रजापति के खिलाफ असली मुश्किल 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले शुरू हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने गैंगरेप के मामले में उनके खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया। आरोप था कि गायत्री ने पीड़िता को लखनऊ स्थित गौतमपल्ली आवास पर फ्लैट देने के बहाने बुलाया जहां नशीला पदार्थ देकर मंत्री और उनके सहयोगी ने रेप किया। इसका वीडियो बना लिया और उसे जारी करने की धमकी देते हुए उसे और उसकी नाबालिग बेटी को हवस का शिकार बनाते रहे। चित्रकूट की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी नाबालिग बेटी से अश्लील हरकत के दोषी गायत्री और उसके दो सहयोगियों आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी को शुक्रवार को आजीवन कारवास की सजा सुनाई गई है। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने सजा सुनाने के साथ तीनों दोषियों पर 2-2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

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Author: rashtradarpan