(Er. Manjul Tiwari) – देश के चौथे सर्वोच्च नगारिक सम्मान पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित हो चुकी बालीबुड़ अभिनेत्री कंगना रनौत के विवादित बयान से देश की सियासत में बवाल मच गया है। कंगना के पद्मश्री पुरस्कार दिये जाने पर भी विपक्ष ने भाजपा के ऊपर सवाल उठाये थे। कांग्रेस नेता उदित राज ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने कहा- ‘लोग हैरान हैं कि पदमश्री सोनू सूद को मिलना चाहिए था, मिला कंगना रनौत को। किस दुनिया में हो, यहां काम पर नहीं झूठ और नफरत फ़ैलाने पर मिलता है।’ एडिशनल एडवोकेट जनरल ऑफ छत्तीसगढ़, अशोक बसोया ने कहा- ‘मेरा एक सवाल है मोदी जी से, कि सोनू सूद को पद्मश्री क्यों नहीं दिया गया?’
परन्तु वर्तमान घमासान उनके बयान को लेकर है।
” आजादी अगर भीख में मिले, तो क्या वह आजादी है। सांवरकर, रानी लक्ष्मीबाई, सुभाषचन्द्र बोस इन लोगों की बात करूं तो ये लोग जानते थे कि खून बनेगा, लेकिन ये भी याद रहे कि हिन्दुस्तानी- हिन्दुस्तानी का खून ना बहाये, उन्होने आजादी की कीमत चुकाई यकीनन। पर वो आजादी नही थी वो भीख थी। जो आजादी मिली है, वो 2014 में मिली है।” – कंगना रनौत
कंगना के इस बयान से आम लोगों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा है। देश के हर कोने में उनके पोस्टर जलाये जा रहे हैं, तथा कालिख पोती जा रही है। और कंगना से पद्मश्री पुरस्कार वापिस लेने की मांग आम जनता बीजेपी सरकार से कर रही है।
वही वरूण गांधी ने कंगना के बयान का जबरदस्त विरोध करते हुए टिवटर पर कहा कि- ” कभी महात्मा गांधी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान और अमर शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी का तिरस्कार। इस सोच को मैं पागलपन कहूं, या फिर देश- द्रोह। “
वही कुछ बीजेपी के छुटपुट नेता कंगना के बयान का समर्थन करते दिख रहे हैं।
बता दें, सोशल मीडिया पर फैंस कंगना से पद्मश्री वापस लेने की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर #KanganaRanautDeshdrohi टॉप ट्रेंडिंग में बना हुआ है। उन पर कई केस दर्ज हो चुके हैं। कंगना ने बृहस्पतिवार को यह कह कर विवाद उत्पन्न कर दिया था, कि भारत को ‘वास्तविक आजादी’ 2014 में मिली थी।
कंगना ने अब पूछा, 1947 में कौन-सी जंग हुई थी?-
आजादी को भीख बताकर ट्रोल हो रहीं कंगना रनौत ने कहा है कि वह पद्मश्री सम्मान लौटा देंगी, अगर कोई उन्हें यह बताए कि 1947 में क्या हुआ था। कंगना ने लिखा है, ‘1857 में आजादी की पहली सामूहिक लड़ाई सुभाष चंद्र बोस, सावरकर जैसे लोगों के बलिदान के साथ शुरू हुई। लेकिन 1947 में कौन-सा युद्ध हुआ था, मुझे पता नहीं है। अगर कोई मुझे बता सकता है तो मैं अपना पद्मश्री वापस कर दूंगी और माफी भी मांगूंगी।’