खुले बाजार में व्यापारियों द्वारा 100 रुपये तक उर्वरक की कीमत में अधिक वसूली की जा रही है
आखिर उर्वरक की उपलब्धता के लिए अधिकारियों द्वारा कैसे बनाई गई थी कार्य योजना
कौशाम्बी सहकारी समितियों से लेकर निजी व्यापारियों के यहाँ उर्वरक की कालाबाजारी बेखौफ हो रही है आलू गेंहू की बुवाई के समय किसान उर्वरक के लिए परेशान है खुले बाजार में व्यापारियों द्वारा 100 रुपये तक उर्वरक की कीमत में अधिक वसूली की जा रही है यही स्थिति सहकारी समितियों की उर्वरक की है वहां भी 50 रुपये से 100 रुपये तक उर्वरक में समितियों के जिम्मेदारों द्वारा बेखौफ वसूली की जाती है जिससे किसान को उर्वरक नहीं मिल पाती है बीते पन्द्रह दिनों से प्रतिदिन सुबह से सहकारी समितियों में उर्वरक के लिए किसानों की लंबी लाइन लग जाती है और कुछ लोगों को उर्वरक देने के बाद समितियों के कर्मचारियों द्वारा यह कह कर किसानों को वापस कर दिया जाता है कि उर्वरक का स्टॉक आज खत्म हो गया है आखिर उर्वरक की उपलब्धता के लिए अधिकारियों द्वारा कैसे कार्य योजना बनाई गई थी जिससे किसानों की समस्या का समाधान होने के बजाए और बढ़ गई है कृषि अधिकारी और उनके कर्मचारी कालाबाजारी में लिप्त ब्यापारियों से करोड़ो की अवैध वसूली में मस्त है किसानों द्वारा बार बार शिकायत के बाद भी कृषि अधिकारी का बाल बांका होता नही दिख रहा है जिससे जिले के किसान उर्वरक के लिए परेशान है आखिर उर्वरक की कालाबाजारी पर कब रोक लगेगी और उर्वरक की कालाबाजारी में मस्त व्यापारियों पर कब मुकदमा दर्ज करा कर उनकी गिरफ्तारी कराई जाएगी इतना ही नहीं उर्वरक की कालाबाजारी में लिप्त व्यापारियों को संरक्षण देने वाले कृषि अधिकारियों पर भी कठोर कार्यवाही किए जाने की जरूरत है लेकिन योगी सरकार और उनके आला अधिकारी कालाबाजारी में लिप्त व्यापारियों को संरक्षण देने वाले कृषि अधिकारियों पर कार्रवाई करने को कतई तैयार नहीं है जिससे योगी सरकार की व्यवस्था पर बदनुमा दाग लग रहा है