(Er. Manjul Tiwari). – “सच की जुबान पर जब लगे ताले, और हंसने लगे बुराई के चेहरे काले। रीतियां जब कुरीतियों से ठगी जायें, सामना तब करें कागज कुरेदने वाले।”
फ्रांस की एक खोजी पत्रिका है मीडिया पार्ट, उसने अपनी पत्रिका में दावा किया है कि राफेल सौदे में सुशेन गुप्ता नामक बिचौलिये ने 65 करोड़ की दलाली 2007- 2012 के बीच खाई है।
अब राजनीतिक पार्टियों में घमासान मच गया है।
2019 के लोक-सभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने राफेल सौदे में हुए घोटाले को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सांबित पात्रा ने कहा कि यह तो बात 2007-12 के बीच की है, तब सत्ता में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी।
वहीं कांग्रेस के पवन खेड़ा ने कहा कि यह 65- 80 करोड़ के घोटाले की बात नही है, इसमें 41000 करोड़ का घोटाला हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि काग्रेंस सरकार ने 526 करोड़ में एक विमान की दर से यह सौदा किया था, परन्तु वहीं बीजेपी सरकार नें 1670 करोड़ रू0 में एक विमान की दर से इन विमानों की खरीदारी की है। आगे उन्होंने यह भी कहा कि इन विमानो को बनाने के लिए हमारे देश की TOP रक्षा उपकरण की सरकारी कम्पनी H.A.L. को Transfer Technology पार्टनर क्यों नही बनाया, जबकि एकदम नई अनिल अम्बानी की रिलायंस एरोनाटिकल को पार्टनर बनाया गया, इससे यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी ने 41000 करोड़ का घोटाला किया है। काग्रेंस ने इस बात को प्रमुखता से उठाया कि जब काग्रेंस सरकार ने जो डील की थी, उस डील का सौदा ही नही हुआ तो कांग्रेस ने दलाली कहां से खाई आगे उन्होंने कहा कि अगर 2014 से सत्ता में बीजेपी की सरकार है। तो बीजेपी ने जांच क्यों नही कराई और जांच कर रहे CBI अधिकारी का Transfer क्यों कर दिया। 2018 से जांच रिपोर्ट आपके पास है, तो आपने दोषियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नही की। जबकि इस मामले को बीजेपी सरकार ने दबाने का प्रयास बार-2 किया है, यह कहना है कांग्रेस का।
आपको बताते चलें कि-साल 2016 में भारत और फ्रांस के बीच हुई राफेल डील देश में फिर सियासी पारा बढ़ा रही है. कांग्रेस मोदी सरकार की चुप्पी पर निशाना साध रही है, वहीं माकपा ने तो प्रधानमंत्री की भूमिका की जेपीसी जांच की मांग उठा दी है. भारत में राफेल को लेकर ताजा सियासी बवाल शनिवार को शुरू हुआ।
दरअसल, राफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार और लाभ पहुंचाने के मामले में फ्रांस में जांच (Rafale Deal Investigation) शुरू की गई है। इतना ही नहीं अब मामले में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुअल मैंक्रों से भी पूछताछ हो सकती है। जब राफेल डील साइन हुई थी तब फ्रांस्वा ओलांद फ्रांस के राष्ट्रपति थे और मैंक्रों वित्त मंत्री हुआ करते थे। दरअसल, फ्रांस ने अरबों डॉलर के राफेल सौदे की जांच के आदेश दिए हैं।इसके लिए एक जज की नियुक्ति के आदेश दिए गए हैं। फ्रांस की पब्लिक प्रॉसिक्यूशन सर्विसेज की फाइनेंशियल क्राइम ब्रांच (PNF) ने कहा कि इस सौदे को लेकर लगाए गए भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोप की जांच की जाएगी।