(Er. Manjul Tiwari)
उ0 प्र0 विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी, चिल्लूपार से विधायक विनय शंकर समेत हरिशंकर तिवारी का परिवार समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया। इसी के साथ सपा की पूर्वांचल में बड़े ब्राह्मण चेहरे की तलाश भी पूरी हो गई। विनय शंकर के साथ उनके भांजे और विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय भी सपा में आ गए।
पिछले साल अक्टूबर 2020 में हरिशंकर तिवारी के बेटे और BSP विधायक विनय शंकर तिवारी और बहू रीता तिवारी के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज किया। विनय शंकर तिवारी की कंपनी से जुड़े बैंक फ्रॉड के मामले में सीबीआई ने ताबड़तोड़ छापेमारी की गई। यह छापे लखनऊ, गोरखपुर, नोएडा समेत कई ठिकानों पर हुए। मार्च 2017 में योगी के सीएम बनने के बाद भी गोरखपुर में तिवारी के हाते पर छापेमारी की गई थी।
आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ दिनों बाद ही गृह क्षेत्र गोरखपुर की सड़कों पर उनके खिलाफ नारेबाजी हो रही थी। वजह थी पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी (Harishankar Tiwari) के घर पर छापेमारी। तिवारी के समर्थकों ने इसे ‘बदले की कार्रवाई’ के तौर पर देखा। बदला, दो प्रमुख जातियों के बीच चली आ रही अदावत का, जिसकी प्रमुख धुरी पंडित हरिशंकर तिवारी हमेशा बने रहे।
पूर्वांचल के हरिशंकर तिवारी गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा से लगातार 6 बार विधायक रह चुके हैं। हरिशंकर तिवारी अब बहुत बुजुर्ग हो चुके हैं। सादा धोती-कुर्ता, सदरी और सिर पर ऊनी टोपी पहनने वाले हरिशंकर तिवारी को देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता है कि पुलिस रेकॉर्ड में हिस्ट्रीशीटर रहे तिवारी पर कई संगीन आरोप दर्ज हैं। छात्र राजनीति के बाद रेलवे, सिविल और साइकल स्टैंड की ठेकेदारी से सफर शुरू करने वाले हरिशंकर तिवारी का परिवार आज अकूत संपत्ति का मालिक है।
हरिशंकर तिवारी पर उम्र का असर हावी हो गया है लेकिन परिवार की अगली पीढ़ी राजनीति में जम चुकी है। बड़े बेटे भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी संतकबीरनगर से सांसद रह चुके हैं। दूसरे बेटे विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार सीट से विधायक हैं। वहीं हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय यूपी विधान परिषद के पूर्व सभापति रह चुके हैं।
गोरखपुर जिले के दक्षिणी छोर पर चिल्लूपार विधानसभा सीट से लगातार 6 बार विधायक रहे हरिशंकर तिवारी की पहचान ब्राह्मणों के बाहुबली नेता के तौर पर है। 80 के दशक में राजनीति में धनबल और बाहुबल के जनक के तौर पर स्थापित हरिशंकर तिवारी की तूती बोलती थी। एक समय था जब गोरखपुर शहर के बीचोबीच ‘तिवारी का हाता’ से ही प्रदेश की सियासत तय होती थी। कांग्रेस, बीजेपी, एसपी, बीएसपी…सरकार चाहे किसी की भी रही हो, हरिशंकर तिवारी सबमें मंत्री रहे।
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