*”धन” तभी सार्थक है जब “धर्म” भी साथ हो,”विशिष्टता” तभी सार्थक है जब “शिष्टता” भी साथ हो “सुंदरता” तभी सार्थक है जब “चरित्र” भी “पवित्र” हो “रिश्तों” का होना भी तभी सार्थक है जब उसमें “प्यार” और “विश्वास हो।*
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