भ्रष्टाचार एक विश्वव्यापी समस्या है। विकासशील देशों में भ्रष्टाचार काफी ब्यापक पैमाने पर ब्याप्त है।
भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट + आचार।
भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो।
नैतिक और सामाजिक मूल्यों की उपेक्षा कर अपने कर्तव्यों से बिमुख होकर अपने अधिकारों एवं साधनों का दुरूपयोग ही भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार नैतिकता के पतन का एक महत्वपूर्ण परिणाम है।
महाराष्ट्र में जिन एनसीपी नेताओं पर बीजेपी भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही है वो अब सरकार में शामिल हो गए हैं। विपक्ष बीजेपी को पहले से ही ‘वाशिंग मशीन’ कहकर तंज कसता रहा है। महाराष्ट्र में हुई राजनीतिक उठापटक के बीच बीजेपी नेता किरीट सोमैया का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें वो एनसीपी नेता रहे हसन मियांलाल मुशरिफ पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं। अब हसन मियांलाल मुशरिफ बीजेपी-शिवसेना सरकार में मंत्री हो गए हैं। बीजेपी के सहयोगी बनने के बाद क्या हसन मियांलाल ईमानदार राजनेता हो गये हैं। इस विषय में महाराष्ट्र की जनता कंप्यूज हो गई है। कि हसन मियांलाल ईमानदार या भ्रष्ट नेता हैं।
महाराष्ट्र राज्य में हुए सियासी हलचल ने न सिर्फ एनसीपी के नेताओं की एकजुटता पर सवाल उठाया है बल्कि ईडी की कार्रवाई को भी सुर्खियों में ला दिया है।दरअसल उद्धव गुट के शिवसेना नेता संजय राउत ने बागी नेताओं को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि जिस-जिस को बीजेपी जेल भेजने वाली थी, वे सभी शिंदे की सरकार में शामिल हो गये हैं। दरअसल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में जितने विधायकों को मंत्री पद दिया गया है, उनमें अधिकतर नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई हो रही थी। आइये जानते हैं किस नेता के खिलाफ कौन से मामले चल रहे हैं।
*1. अजीत पवार*- शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री बने अजित पवार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के जांच की लंबी सूची है. इसमें सहकारी बैंक घोटाला और सिंचाई घोटाला मामला प्रमुख हैं. यहां तक की उनकी अपनी कंपनी पर भी भ्रष्टाचार का मामला चल रहा है।
*2. छगन भुजबल*- शिंदे सरकार में मंत्री बने छगन पर साल 2006 में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहते हुए 100 करोड़ की परियोजनाओं का कॉन्ट्रैक्ट देने में अनियमितता का मामला दर्ज है. छगन पर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की रिपोर्ट के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने अलग से भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था जिसमें साल 2016 में उनकी गिरफ्तारी हुई थी और साल 2018 में उन्हें हाईकोर्ट के आदेश पर जमानत भी मिल गई थी।
*3. हसन मुश्रीफ*-
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने एनसीपी नेता हसन मुश्रीफ भी ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं। दरअसल उनपर सर सेनापति संताजी घोरपडे शुगर फैक्ट्री में अनियमितताओं का मामला दर्ज है।
*4. धंनजय पंडितराव मुंडे*-
साल 2021 में एकनाथ शिंदे की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने धनंजय पंडितराव मुंडे के खिलाफ रेप की शिकायत दर्ज की गई थी।हालांकि मुंडे ने बलात्कार के आरोपों का खंडन किया था। सरकार में शामिल होने के कुछ दिन बाद महिला ने भी शिकायत वापस ले ली थी।
विपक्ष हमेंशा से सवाल यह उठता रहा है कि जब कोई नेता विपक्ष में रहता है तो वह भ्रष्ट होता है अगर वह बीजेपी में सम्मिलित हो जाता है तो वह ईमानदार हो जाता है।
शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर भी तंज कसते हुए कहा कि पार्टी ने जिन लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, उन्हें ही अब अपने साथ ले लिया है। शरद आगे कहते हैं, ‘मुझे खुशी है कि मेरे कुछ साथियों ने आज शपथ ली है।उनका सरकार (महाराष्ट्र) में शामिल होने से यह स्पष्ट है कि वे सभी आरोप मुक्त हो गए हैं।
अगर इस देश में भ्रष्टाचार और ईमानदार बनने का का सर्टिफिकेट कोई राजनीतिक पार्टी देती है। और सभी जांच ऐजेंसियां सिर्फ सरकार के दबाव में कार्य करती हैं। तो यह उस देश के नागरिकों के लिए अच्छे संकेत नही हैं।
सभी जांच ऐजेंसियां स्वंत्रत होती हैं। जांच ऐजेंसियों को किसी भी सरकार के दबाव में कार्य नही करना चाहिए। अगर जांच ऐजेंसियां किसी के दबाव में कार्य करती हैं तो उस देश का नैतिक एवं संवैधानिक पतन होना निश्चित है।
क्या विपक्ष द्वारा लगाये जा रहे आरोप सत्य हैं। विपक्ष लगातार बीजेपी पर आरोप लगाता रहता है कि बीजेपी के इशारे पर ही सभी जांच ऐजेंसियां कार्य कर रही हैं।
बीजेपी जिसे चाहती है, उसके खिलाफ जांच ऐजेंसियां कार्य करती हैं।
*ईं0 मंजुल तिवारी*
*सम्पादक राष्ट्र दर्पण न्यूज*
*सम्पर्क सूत्र- 7007829370*
क्या भ्रष्टाचार को लेकर हो रहा भेदभाव?— (क्या महाराष्ट्र में खेला गया यही दांव)–
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