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मणिपुर में नग्न परेड़, शर्मसार हो रहा पूरा देश-


मणिपुर में पिछले 83 दिनों से हिंसा जारी है। इस बीच, कुछ ऐसी वीडियो सामने आए हैं, जिसने पूरे देश को दहला दिया है। इस वीडियो में कुकी समुदाय की दो महिलाओं को नग्न करके सड़क पर घुमाते हुए दिखाया जा रहा है। ये वीडियो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी निंदा की। उन्होंने कहा कि दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र और राज्य सरकार को सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस ने यहां तक कह दिया कि या तो सरकार कार्रवाई करे, नहीं तो हम खुद इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे।
आज हम आपको मणिपुर में चल रही हिंसा की पूरी कहानी बताएंगे। कब और कैसे इसकी शुरुआत हुई? अब तक क्या-क्या हुआ?
एक जिम्मेदार लेखक एवं पत्रकार होने के नाते मैं दावे के साथ कह रहा हूँ कि ढाई महीना होने के बावजूद मणिपुर में हिंसा नहीं रुक रही है, इसकी मुख्य वजह सरकार की अक्षमता है। जो हिंसा कर रहे हैं, अगर सरकार उन लोगों को, ये सोचे बिना कि वे किस समुदाय से हैं, गिरफ्तार करती , कार्रवाई करती तो अब तक ये हिंसा रुक जाती।
मणिपुर में दो महिलाओं को बिना कपड़ों के खुलेआम परेड कराने से जुड़े वीडियो को मई की शुरुआत का बताया जा रहा है। असल समस्या ये है कि मणिपुर में जब से हिंसा की शुरुआत हुई, तब से वहां इंटरनेट बैन है। इंटरनेट बंद होने की वजह से बहुत सारी चीजें और घटनाएं मणिपुर से बाहर नहीं आ पा रही हैं। मणिपुर की सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है। अभी प्रदेश सरकार बहुमत के लाइन पर काम कर रही है। सरकार की जो ड्यूटी होती है, वो प्रदेश के हर नागरिक की सुरक्षा को सुनिश्चित करना होता है, चाहे वो मेजॉरिटी ग्रुप से हो या फिर माइनॉरिटी ग्रुप से। प्रदेश में एन बीरेन सिंह की सरकार वो काम नहीं कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से भी हिंसा को रोकने के लिए कुछ ख़ास नहीं किया जा रहा है।
मणिपुर से इंसानियत पर सवाल खड़ा कर देने वाले वीडियो की चर्चा जोरों पर है। यहां कुछ लोग इतने वहशी हो गए कि उन्होंने दो लड़कियों को निर्वस्त्र किया, उन्हें बिना कपड़ों के घुमाया और फिर कथित तौर पर उनके साथ रेप भी किया। बता दें कि मणिपुर में तीन मई को मैतेई (घाटी बहुल समुदाय) और कुकी जनजाति (पहाड़ी बहुल समुदाय) के बीच हिंसा शुरू हुई थी। दरअसल, मणिपुर में मैतेई समाज की मांग है कि उसको कुकी की तरह राज्य में शेड्यूल ट्राइब (ST) का दर्जा दिया जाए। इसके खिलाफ कुकी समाज ने आवाज उठाई और आदिवासी एकजुटता रैली निकाली, जिसका विरोध और बात हिंसा तक पहुंच गई।
मणिपुर में क्यों भडकी हिंसा– दरअसल, मणिपुर की राजधानी इम्फाल बिल्कुल बीच में है। ये पूरे प्रदेश का 10% हिस्सा है, जिसमें प्रदेश की 57% आबादी रहती है। बाकी चारों तरफ 90% हिस्से में पहाड़ी इलाके हैं, जहां प्रदेश की 43% आबादी रहती है। इम्फाल घाटी वाले इलाके में मैतेई समुदाय की आबादी ज्यादा है। ये ज्यादातर हिंदू होते हैं। मणिपुर की कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी करीब 53% है। आंकड़ें देखें तो सूबे के कुल 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई समुदाय से हैं। वहीं, दूसरी ओर पहाड़ी इलाकों में 33 मान्यता प्राप्त जनजातियां रहती हैं। इनमें प्रमुख रूप से नगा और कुकी जनजाति हैं। ये दोनों जनजातियां मुख्य रूप से ईसाई हैं। इसके अलावा मणिपुर में आठ-आठ प्रतिशत आबादी मुस्लिम और सनमही समुदाय की है। भारतीय संविधान के आर्टिकल 371C के तहत मणिपुर की पहाड़ी जनजातियों को विशेष दर्जा और सुविधाएं मिली हुई हैं, जो मैतेई समुदाय को नहीं मिलती। ‘लैंड रिफॉर्म एक्ट’ की वजह से मैतेई समुदाय पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदकर बस नहीं सकता। जबकि जनजातियों पर पहाड़ी इलाके से घाटी में आकर बसने पर कोई रोक नहीं है। इससे दोनों समुदायों में मतभेद बढ़े हैं।
तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला। ये मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने के विरोध में था। यहीं से स्थिति काफी बिगड़ गई। आदिवासियों के इस प्रदर्शन के विरोध में मैतेई समुदाय के लोग खड़े हो गए। लड़ाई के तीन पक्ष हो गए। एक तरफ मैतेई समुदाय के लोग थे तो दूसरी ओर कुकी और नगा समुदाय के लोग। चार मई को चुराचंदपुर में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की एक रैली होने वाली थी। पूरी तैयारी हो गई थी, लेकिन रात में ही उपद्रवियों ने टेंट और कार्यक्रम स्थल पर आग लगा दी। सीएम का कार्यक्रम स्थगित हो गया। अब तक इस हिंसा के चलते 150 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। तीन हजार से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। वायरल वीडियो में जिन दो महिलाओं को नग्न करके घुमाया जा रहा है, वो कुकी समुदाय की हैं। यह वीडियो चार मई का बताया जा रहा है, जब हिंसा शुरुआती चरण में था। महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का आरोप मैतई समुदाय के लोगों पर लगा है। इस मामले में पुलिस ने अज्ञात हथियारबंद बदमाशों के खिलाफ थौबल जिले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या का मामला दर्ज किया है। उधर, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भी मामले की जांच के लिए अलग टीम गठित कर दी है। केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार से इस मसले पर रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने भी मुख्यमंत्री से बात की।
इस मामले में विपक्षी पार्टियों ने केन्द्र एव मणिपुर राज्य सरकार पर जमकर हमला भी किया है। हैदराबाद सांसद ओवैसी ने कहा कि बीजेपी के लोग चाहते हैं कि हम उनकी विफलताओं पर सवाल उठाने के लिए खुद को दोषी महसूस करें। उनकी असफलताओं से हमारा नाम खराब होता है, न कि हमारे सवाल पूछने से। मानवीय गरिमा सम्राट के लिए किसी कथित शर्मिंदगी से बड़ी नहीं है। असदुद्दीन ओवैसी ने द वायर में छपा एन बीरेन सिंह का बयान शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कहा था वीडियो ने राज्य की छवि खराब की है। सीएम बीरेन ने कहा था कि उन्होंने वीडियो की निंदा करने के लिए राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। ओवैसी ने इसके साथ ही अन्य बीजेपी नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों का बयान भी शेयर किया है, जिसमें भारत के बारे में रिपोर्ट को लेकर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की निंदा की गई है।
वही कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा कि मणिपुर जातीय और वर्ग संघर्ष में जल रहा है। केंद्र सरकार वहां की हालात सुधारने में पूरी तरह से नाकामयाब है। वहीं कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि बीजेपी अपने मुख्यमंत्री से पूछे कि इतने दिन तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

ईं0 मंजुल तिवारी
सम्पादक राष्ट्र दर्पण न्यूज
सम्पर्क सूत्र- 7007829370

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Author: rashtradarpan