केवल मीटिंग और निर्देश भाषण तक अधिकारी नेता भी सीमित रह गए
कौशांबी। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है इलाज के आभाव में मरीजों की मौत हो रही है दो दर्जन सरकारी अस्पताल में डॉक्टर नहीं पहुंच रहे हैं टिकरा भरवारी सेलरहा पश्चिम बैश कांटी सुजातपुर पश्चिम शरीरा महगाव म्योहर कादिलपुर टेवा कनैली कसेन्दा महगाव कोखराज सहित दो दर्जन सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते 20 वर्षों से बिना चिकित्सक के यह सरकारी संचालित हो रहे हैं फर्जी उपस्थिति दर्ज करके इन चिकित्सकों को वेतन भी स्वास्थ्य विभाग लगातार दे रहा है स्वास्थ्य कर्मियों के सहारे इन अस्पतालों का ताला खोल दिया जाता है लेकिन मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है मरीज हो हल्ला न मचा सके इसलिए मामूली मर्ज में उल्टी सीधी दवा देकर स्वास्थ्य कर्मी पीछा छुड़ा लेते हैं कुछ को आराम मिल जाता है कुछ का मर्ज बढ़ जाता है इन अस्पतालों में तैनात चिकित्सक निजी नर्सिंग होम संचालक में मस्त है चिकित्सकों का स्थानांतरण भी किया जाता है तो ऐसे स्थान पर उन्हें ड्यूटी दी जाती है जहां से उन्हें सरकारी अस्पताल में ड्यूटी ना देना पड़े यह व्यवस्था का अंग बन चुका है तो दर्जन सरकारी अस्पतालों में 20 वर्षों से ड्यूटी न देने वाले सरकारी चिकित्सकों से लगातार मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय द्वारा एक निश्चित रकम की वसूली की जाती है जिससे मुख्य चिकित्सा अधिकारी ड्यूटी न देने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई नहीं करते हैं जबकि लगातार आम जनता चिकित्सकों की शिकायत कर रही है बार-बार जांच होती है जांच के नाम पर खुलासा भी होता है लेकिन सब कुछ लीपापोती हो रही है जिससे कौशांबी जिले की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है लेकिन 7 वर्षों से प्रदेश में योगी सरकार के शासन के बाद भी जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने का प्रयास नहीं हुआ केवल मीटिंग और निर्देश भाषण तक अधिकारी नेता भी सीमित रह गए हैं हकीकत गांव की जनता जानती हैं लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जनता की बात को मानने को तैयार नहीं है आखिर इसके पीछे क्या गहरा रहस्य छुपा है यह बड़ी जांच का विषय है।
9792349216