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MSP पर अड़े किसान, कैसे निकलेगा समाधान

– ( Er. Manjul Tiwari)
कड़ाके की ठंड र्और भूख-प्यास की परवाह किए बिना देश का अन्नदाता कहा जाने वाला किसान पिछले 1वर्ष से भी ज्यादा दिनों से सड़कों पर (Kisan Andolan) है। अपने घर की सुख-सुविधाएं छोड़कर सैकड़ों किलोमीटर दूर हजारों किसान दिल्ली के बॉडर्र की सड़कों पर डेरा जमाए हुए बैठे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के आदेश पर केन्द्र सरकार ने लोकसभा एवं राज्यसभा में तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर दिया गया है।
परन्तु किसान अपनों फसलों के लिए MSP के लिए कानून की मांग पर अड़ें हैं।
MSP- Minimum Support Price जिसे न्यूनतम समर्थन मूल्य के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्रकार का गारंटी मूल्य है, जो किसानों को उनकी फसल पर उपलब्ध करवाया जाता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से किसानों की फसलों की कीमत कम होने पर भी उनकी आय में कोई उतार चढ़ाव नहीं आता है। बाजारों में फसलों की कीमत पर कम या ज्यादा होने का प्रभाव किसानों पर ना पड़े।इसीलिए सरकार द्वारा किसानों की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित की जाती है। इससे किसानों को बड़ी राहत प्रदान होती है, क्योंकि बाजार में चल रहे उतार-चढ़ाव को लेकर किसान काफी समस्या में रहते हैं। इसीलिए किसान द्वारा एमएसपी की मांग सबसे ज्यादा होती है। जब कोई उद्दोगपति किसी वस्तु का उत्पादन करता है, तो वह उस वस्तु को MRP में बेंचता है। MRP का मतलब अधिकतम समर्थन मूल्य होता है। परन्तु किसानों के लिए MSP मिलना ही मुश्किल होता है।
MSP कैसे तय की जाती है?-
न्यूनतम समर्थन मूल्य को आयोग के कुछ मानकों के आंकड़ों पर घटक किया जाता है, जैसे कि

देश के अलग-अलग इलाकों में किसी खास फसल की लागत
खेती का खर्च और आने वाले अगले साल में होने वाले बदलाव
देश के अलग-अलग क्षेत्र में प्रति क्विंटल अनाज को उगाने की लागत,प्रति क्विंटल अनाज उगने वाला खर्च और अगले साल में होने वाला बदलाव,अनाज की कीमत और आगे 1 साल में होने वाला औसत बदलाव,किसान जो अनाज भेजता है, उसकी कीमत और जो खरीदता है उसकी सरकारी और सार्वजनिक एजेंसी जैसे एसपी और नफेड स्टोरेज क्षमता, परिवार पर खपत होने वाला अनाज और एक व्यक्ति पर खपत होने वाले अनाज की मात्रा।विश्व में अनाज की मांग और उसकी उपलब्धता।
अनाज के भंडारण उसको एक जगह से दूसरी जगह पर लाने ले जाने का खर्चा।
आज संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक थी, जिसमें किसानों को अपनी आगे की रणनीति में निर्णय लेना था,संयुक्त किसान मोर्चा ने मीटिंग के बाद कहा कि तीन कानून किसान और जनता विरोधी थे, जिस वजह से केंद्र को इन्हें रद्द करना पड़ा, यह हमारे देश के किसानों की बहुत भारी जीत है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि कुछ बातें हमने पहले दिन से रखी हैं, जिसमें एक MSP की गारंटी भी शामिल है. दूसरी मांग बिजली बिल को लेकर है, जिसे हम रद्द कराना चाहते हैं, क्योंकि इससे किसानों और लोगों के ऊपर बोझ बढ़ेगा. इस आंदोलन के दौरान जो तीन बातें सामने आई हैं, उन पर आज की मीटिंग में चर्चा हुई है. किसानों पर हजारों की तादाद में मुकदमे हुए हैं। बीजेपी के राज्यों में जो मुकदमे हुए हैं, उन्हें सरकार को वापस लेना चाहिए. 26 जनवरी और लखीमपुर खीरी के मुकदमों को भी वापस लेना चाहिए।कृषि कानूनों की वापसी के बाद एमएसपी समेत कई अन्य मांगो को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने आज मीटिंग की। इस बैठक में कई वरिष्ठ किसान नेता भाग लेने पहुंचे। जिसमें एमएसपी, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को पद से हटाने की मांग, किसानों पर मुकदमे वापस लेना और किसानों के परिजनों को मुआवजा देने का मुद्दा शामिल हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से केंद्र सरकार को उन 702 किसानों के नाम भेजे हैं जिनकी मौत किसान आंदोलन के दौरान हुई है। किसान मोर्चा की ओर से मृतक किसानों की सूची शुक्रवार को कृषि सचिव को भेज दी गई है। इससे पहले सरकार ने संसद में कहा था कि उसके पास आंदोलन के दौरान मृत किसानों का आंकड़ा नहीं है।

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Author: rashtradarpan