लोकसभा चुनाव के पांचवे चरण के पहले उत्तर प्रदेश में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। सभी की नजरें राजा भैया के प्रभाव वाली कौशांबी और प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर टिकी हुई हैं।
प्रतापगढ़ और कौशांबी में अपनी बढ़त बनाए रखने के लिए बीजेपी लगातार राजा भैया को मनाने की कोशिश में लगी थी लेकिन उन्होंने ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में किसी को भी समर्थन नहीं करेगी। उनके इस ऐलान के बाद कौशांबी और प्रतापगढ़ में खेला होने की संभावना है। लोकसभा चुनाव को लेकर कौशांबी और प्रतापगढ़ में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। कुंडा विधायक और जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का इन इलाकों में अच्छा-खासा प्रभाव है। ऐसे में उन्हें साधने के लिए बीजेपी, सपा और बसपा तीनों दलों के नेता जुटे थे। मंगलवार को केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और कौशांबी से बीजेपी प्रत्याशी विनोद सोनकर कुंडा की बेती कोठी पहुंचे थे। दोनों नेताओं ने राजा भैया से मुलाकात की। सोमवार को सपा प्रत्याशी पुष्पेंद्र सरोज ने भी मुलाकात की थी। हालांकि, इन नेताओं की राजा भैया से मुलाकात का कोई खास फायदा नहीं हुआ। बुधवार को राजा भैया ने ऐलान कर दिया कि इस लोकसभा चुनाव में वह किसी भी दल को समर्थन नहीं देंगे। उन्होंने जनसत्ता दल के कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को उनके विवेक पर छोड़ दिया है कि वह किसे वोट देंगे और किसे नहीं। राजा भैया के इस दांव से भाजपा का कौशांबी और प्रतापगढ़ में खेल बिगड़ सकता है। दरअसल, कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में प्रतापगढ़ की दो विधानसभा सीटें कुंडा और बाबागंज शामिल हैं। इन दोनों क्षेत्रों में राजा भैया का प्रभाव माना जाता है। कुंडा से खुद राजा भैया विधायक हैं और बाबागंज से उनकी पार्टी के नेता विनोद सरोज विधायक हैं। ऐसे में कौशांबी सीट पर जीत के लिए राजा भैया का समर्थन महत्वपूर्ण माना जा रहा है। शाम को पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद राजा भैया ने कहा कि जनसत्ता दल के पदाधिकारी और कार्यकर्ता अपने विवेक से किसी भी पार्टी को वोट करने के लिए स्वतंत्र हैं। आंकड़ों के मुताबिक बाबागंज की 3,26,171 और कुंडा के 3,64,472 वोटर इस लोकसभा की सीट पर खासा प्रभाव डालते हैं। बाबागंज, कुंडा विधानसभा का सियासी गणित विधायक और बाहुबली राजा भैया के सियासी दांव-पेंच पर निर्भर करती है। इस बार के चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी का कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है। न ही, किसी दल को समर्थन देने की बात कही है। भाजपा ने पूरी कोशिश की कि राजा भैया को अपने पाले में कर ले। इस कड़ी में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी राजा भैया से मुलाकात की। संजीव बालियान भी उनसे समर्थन मांगने के लिए बेती कोठी पहुंचे थे। ऐसे में जाने किस बात पर क्या सहमति और असहमति बनी कि राजा भैया भाजपा से मैनेज नहीं हो पाए। अंततः उन्होंने ऐलान कर दिया कि उनकी पार्टी के वोटर और कार्यकर्ता जिसे चाहें उसे वोट दे सकते हैं। उनके इस ऐलान से भाजपा के लिए प्रतापगढ़ और कौशांबी में राहें थोड़ी मुश्किल हो सकती हैं।
ईं० मंजुल तिवारी
